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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 25: भक्तियोग की महिमा
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श्लोक 1
श्लोक
3.25.1
शौनक उवाच
कपिलस्तत्त्वसंख्याता भगवानात्ममायया ।
जात: स्वयमज: साक्षादात्मप्रज्ञप्तये नृणाम् ॥ १ ॥
अनुवाद
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श्री शौनक ने कहा: यद्यपि पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् अजन्मा हैं, परन्तु उन्होंने अपनी आंतरिक शक्ति से कपिल मुनि के रूप में जन्म लिया। वे सम्पूर्ण मानव जाति के हित के लिए ज्ञान का प्रचार करने के लिए अवतरित हुए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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