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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 24: कर्दम मुनि का वैराग्य
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श्लोक 8
श्लोक
3.24.8
पेतु: सुमनसो दिव्या: खेचरैरपवर्जिता: ।
प्रसेदुश्च दिश: सर्वा अम्भांसि च मनांसि च ॥ ८ ॥
अनुवाद
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भगवान के जन्म के अवसर पर आकाश में स्वछंद विचरण करने वाले देवताओं ने फूलों की वर्षा की। समस्त दिशाएँ, सारे समुद्र और सभी के मन अत्यंत आह्लादित हुए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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