श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 24: कर्दम मुनि का वैराग्य  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  3.24.41 
 
 
मैत्रेय उवाच
एवं समुदितस्तेन कपिलेन प्रजापति: ।
दक्षिणीकृत्य तं प्रीतो वनमेव जगाम ह ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रीमैत्रेय ने कहा - इस प्रकार जब मानव समाज के जनक श्री कर्दम मुनि को उनके पुत्र कपिल जी ने भरपूर ज्ञान दिया, तो कर्दम मुनि जी ने उनकी प्रदक्षिणा की और अच्छे एवं शांत मन से तुरंत ही वन के लिए प्रस्थान कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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