वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 24: कर्दम मुनि का वैराग्य
»
श्लोक 13
श्लोक
3.24.13
एतावत्येव शुश्रूषा कार्या पितरि पुत्रकै: ।
बाढमित्यनुमन्येत गौरवेण गुरोर्वच: ॥ १३ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
पुत्रों को अपने पिता की इसी प्रकार सेवा करनी चाहिए। पुत्र को चाहिए कि वह अपने पिता अथवा गुरु के आदेश का पालन सम्मानपूर्वक "हाँ जी" कहकर करे।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.