श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 24: कर्दम मुनि का वैराग्य  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.24.10 
 
 
भगवन्तं परं ब्रह्म सत्त्वेनांशेन शत्रुहन् ।
तत्त्वसंख्यानविज्ञप्‍त्यै जातं विद्वानज: स्वराट् ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय ने आगे कहा—हे शत्रुओं के संहारक, ज्ञान प्राप्त करने में प्रायः स्वच्छंद, अजन्मा ब्रह्मा जी समझ गए कि श्री भगवान का एक अंश अपने निर्मल अस्तित्व में, सांख्य योग रूप में समस्त ज्ञान की व्याख्या करने हेतु देवहूति के गर्भ से प्रकट हुआ है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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