श्री देवहूती ने कहा—हे तापसी श्रेष्ठ, मेरे अनन्य प्रिय पति महाराज! मैं तत्वज्ञ हूँ, अतः मैं भलीभाँति जानती हूँ कि आप सिद्धि को प्राप्त हो गये हैं और समस्त अचूक योगशक्तियों के आधिपत्य में हैं। क्योंकि आप दिव्य प्रकृति योगमाया के संरक्षण में हैं। किन्तु आपने कभी प्रण किया था कि अब हमारा शारीरिक संसर्ग होता ही चाहिए, क्योंकि तेजस्वी पतिवाली साध्वी पत्नी के लिए सन्तान बहुत बड़ा गुण है।