श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 22: कर्दममुनि तथा देवहूति का परिणय  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  3.22.10 
 
 
यदा तु भवत: शीलश्रुतरूपवयोगुणान् ।
अश‍ृणोन्नारदादेषा त्वय्यासीत्कृतनिश्चया ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  जबसे इसे नारद मुनि से आपके सद्गुण, विद्या, रूप, यौवन और अन्य गुणों के बारे में सुना है तबसे इसका मन आपमें रम गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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