श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.21.30 
 
 
त्वं च सम्यगनुष्ठाय निदेशं म उशत्तम: ।
मयि तीर्थीकृताशेषक्रियार्थो मां प्रपत्स्यसे ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  मेरी आज्ञा का पूर्ण रूप से पालन करके और अपने सभी कर्मों के फल को समर्पित करके तुम अपने हृदय को शुद्ध करोगे और अंततः मुझ तक पहुँचोगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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