श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  3.21.23 
 
 
श्रीभगवानुवाच
विदित्वा तव चैत्यं मे पुरैव समयोजि तत् ।
यदर्थमात्मनियमैस्त्वयैवाहं समर्चित: ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान ने कहा है कि जिस चीज़ के लिए तुमने इंद्रिय और आत्मा पर नियंत्रण रखते हुए मेरी साधना की है, मैं उस इच्छा को जानकर उसके लिए पहले से ही प्रबंध कर चुका हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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