श्रीभगवानुवाच
विदित्वा तव चैत्यं मे पुरैव समयोजि तत् ।
यदर्थमात्मनियमैस्त्वयैवाहं समर्चित: ॥ २३ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा है कि जिस चीज़ के लिए तुमने इंद्रिय और आत्मा पर नियंत्रण रखते हुए मेरी साधना की है, मैं उस इच्छा को जानकर उसके लिए पहले से ही प्रबंध कर चुका हूँ।