श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.21.12 
 
 
जातहर्षोऽपतन्मूर्ध्ना क्षितौ लब्धमनोरथ: ।
गीर्भिस्त्वभ्यगृणात्प्रीतिस्वभावात्मा कृताञ्जलि: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  जब कर्दम मुनि ने परम पुरुषोत्तम भगवान् का साक्षात्कार किया, तब अत्यंत प्रसन्न हुए क्योंकि उनकी दैवीय इच्छा पूर्ण हो गई थी। भगवान् के चरण-कमलों को प्रणाम करने के लिए सिर झुकाकर धरती पर लेट गए। उनका हृदय स्वाभाविक रूप से भगवान् के प्रेम से भरा हुआ था। उन्होंने दोनों हाथों को जोड़कर स्तुतियों से भगवान् को संतुष्ट किया।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.