श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 21: मनु-कर्दम संवाद  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  3.21.11 
 
 
विन्यस्तचरणाम्भोजमंसदेशे गरुत्मत: ।
दृष्ट्वा खेऽवस्थितं वक्ष:श्रियं कौस्तुभकन्धरम् ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  अपने वक्ष पर सुनहरी रेखा और अपने गले में प्रसिद्ध कौस्तुभ मणि लटका कर, वे गरुड़ के कंधों पर अपने कमल के समान चरण रख कर आकाश में खड़े थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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