सूत गोस्वामी आगे कहते हैं - भरत के वंशज विदुर भगवान की कथा सुनकर बहुत प्रसन्न हुए क्योंकि भगवान ने अपनी दिव्य शक्ति से वराह का रूप धारण करके पृथ्वी को समुद्र के गर्भ से खेल-खेल में ऊपर लाने (लीला) और हिरण्याक्ष का उदासीन भाव से वध करने का कार्य किया था। इसके बाद विदुर मैत्रेय से इस प्रकार बोले।