देवस्तानाह संविग्नो मा मां जक्षत रक्षत ।
अहो मे यक्षरक्षांसि प्रजा यूयं बभूविथ ॥ २१ ॥
अनुवाद
देवताओं के नेता ब्रह्माजी, चिंता से व्याकुल होकर, उनसे निवेदन करने लगे, “मुझे मत खाओ, मेरी रक्षा करो। तुम सब मेरी ही संतान हो और अब तुम मेरे पुत्र बन चुके हो। इसलिए तुम सब यक्ष और राक्षस कहलाओगे।”