दुर्भगो बत लोकोऽयं यदवो नितरामपि ।
ये संवसन्तो न विदुर्हरिं मीना इवोडुपम् ॥ ८ ॥
अनुवाद
यह संपूर्ण ब्रह्मांड अपने सभी लोकों के साथ अत्यंत दुर्भाग्यशाली है। युदुकुल के सदस्य तो उनसे भी अधिक दुर्भाग्यशाली हैं, क्योंकि वे श्री हरि भगवान को ईश्वर के रूप में नहीं पहचान पाए, ठीक उसी तरह जैसे मछलियाँ चंद्रमा को नहीं पहचान पातीं।