श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 2: भगवान् कृष्ण का स्मरण  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  3.2.8 
 
 
दुर्भगो बत लोकोऽयं यदवो नितरामपि ।
ये संवसन्तो न विदुर्हरिं मीना इवोडुपम् ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  यह संपूर्ण ब्रह्मांड अपने सभी लोकों के साथ अत्यंत दुर्भाग्यशाली है। युदुकुल के सदस्य तो उनसे भी अधिक दुर्भाग्यशाली हैं, क्योंकि वे श्री हरि भगवान को ईश्वर के रूप में नहीं पहचान पाए, ठीक उसी तरह जैसे मछलियाँ चंद्रमा को नहीं पहचान पातीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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