श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 2: भगवान् कृष्ण का स्मरण  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  3.2.6 
 
 
शनकैर्भगवल्लोकान्नृलोकं पुनरागत: ।
विमृज्य नेत्रे विदुरं प्रीत्याहोद्धव उत्स्मयन् ॥ ६ ॥
 
अनुवाद
 
  महाभागवत उद्धव तुरंत भगवान के लोक से वापस मानव-स्तर पर लौटे, उन्होंने अपनी आँखें पोंछते हुए पुरानी यादों को ताजा किया और फिर विदुर से प्रसन्नचित्त होकर बात की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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