मन्येऽसुरान् भागवतांस्त्र्यधीशे
संरम्भमार्गाभिनिविष्टचित्तान् ।
ये संयुगेऽचक्षत तार्क्ष्यपुत्र-
मंसे सुनाभायुधमापतन्तम् ॥ २४ ॥
अनुवाद
मैं उन असुरों को, जो भगवान् के विरोधी हैं, उनसे भी ऊपर मानता हूँ जो भगवान् के भक्त हैं, क्योंकि वे सब लोग शत्रुता के भाव से भरे हुए होकर युद्ध करते समय भगवान् को तार्क्ष्य (कश्यप) पुत्र गरुड़ के कंधों पर बैठे हुए और अपने हाथ में चक्रायुध लेकर देख पाते हैं।