श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 2: भगवान् कृष्ण का स्मरण  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  3.2.21 
 
 
स्वयं त्वसाम्यातिशयस्त्र्यधीश:
स्वाराज्यलक्ष्म्याप्तसमस्तकाम: ।
बलिं हरद्‍‌भिश्चिरलोकपालै:
किरीटकोट्येडितपादपीठ: ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रीकृष्ण समस्त तीनों लोकों के स्वामी हैं और उन्होंने सभी प्रकार के सौभाग्य को प्राप्त करके अकेले ही सर्वोच्च शक्ति हासिल की है। वे सृष्टि के नित्य लोकपालों द्वारा पूजे जाते हैं, जो अपने करोड़ों मुकुटों से उनके चरणों का स्पर्श करके उन्हें पूजा की सामग्री अर्पित करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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