श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 2: भगवान् कृष्ण का स्मरण  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.2.16 
 
 
मां खेदयत्येतदजस्य जन्म-
विडम्बनं यद्वसुदेवगेहे ।
व्रजे च वासोऽरिभयादिव स्वयं
पुराद् व्यवात्सीद्यदनन्तवीर्य: ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मैं भगवान् कृष्ण के बारे में सोचता हूँ — कि कैसे वे अजन्मा होते हुए भी वसुदेव की जेल में पैदा हुए थे, किस तरह पिता के संरक्षण से व्रज चले गये और वहाँ शत्रु-भय से छिपकर रहते रहे, और किस तरह असीम बलशाली होते हुए भी डर से मथुरा छोड़कर भाग गये — ये सारी भ्रमित करने वाली घटनाएँ मुझे दुःख पहुँचाती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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