मां खेदयत्येतदजस्य जन्म-
विडम्बनं यद्वसुदेवगेहे ।
व्रजे च वासोऽरिभयादिव स्वयं
पुराद् व्यवात्सीद्यदनन्तवीर्य: ॥ १६ ॥
अनुवाद
जब मैं भगवान् कृष्ण के बारे में सोचता हूँ — कि कैसे वे अजन्मा होते हुए भी वसुदेव की जेल में पैदा हुए थे, किस तरह पिता के संरक्षण से व्रज चले गये और वहाँ शत्रु-भय से छिपकर रहते रहे, और किस तरह असीम बलशाली होते हुए भी डर से मथुरा छोड़कर भाग गये — ये सारी भ्रमित करने वाली घटनाएँ मुझे दुःख पहुँचाती हैं।