श्री शुक उवाच
इति भागवत: पृष्ट: क्षत्त्रा वार्तां प्रियाश्रयाम् ।
प्रतिवक्तुं न चोत्सेह औत्कण्ठ्यात्स्मारितेश्वर: ॥ १ ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: जब विदुर ने महान भक्त उद्धव से प्रियतम (श्रीकृष्ण) का सन्देश बताने के लिए कहा तो भगवान की स्मृति में अत्यधिक विचलित होने के कारण उद्धव तुरंत उत्तर नहीं दे पाए।