श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 19: असुर हिरण्याक्ष का वध  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.19.9 
 
 
पदा सव्येन तां साधो भगवान् यज्ञसूकर: ।
लीलया मिषत: शत्रो: प्राहरद्वातरंहसम् ॥ ९ ॥
 
अनुवाद
 
  हे साधु विदुर, सर्व यज्ञों की बलि के भोगी श्री भगवान ने अपने सूअर के रूप में खेल-खेल में अपने शत्रु के देखते-देखते ही अपने दाएँ पैर से उस गदा को नीचे गिरा दिया, यद्यपि वह तूफान के आवेग से उनकी ओर आ रही थी।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.