वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 19: असुर हिरण्याक्ष का वध
»
श्लोक 2
श्लोक
3.19.2
तत: सपत्नं मुखतश्चरन्तमकुतोभयम् ।
जघानोत्पत्य गदया हनावसुरमक्षज: ॥ २ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
ब्रह्मा जी के नथुने से प्रकट हुए भगवान उछल पड़े और अपने सामने निर्भयता से विचर रहे अपने असुर शत्रु, हिरण्याक्ष की ठोड़ी पर उन्होंने अपनी गदा से प्रहार किया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.