श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 18: भगवान् वराह तथा असुर हिरण्याक्ष के मध्य युद्ध  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  3.18.12 
 
 
त्वं पद्रथानां किल यूथपाधिपो
घटस्व नोऽस्वस्तय आश्वनूह: ।
संस्थाप्य चास्मान् प्रमृजाश्रुस्वकानां
य: स्वां प्रतिज्ञां नातिपिपर्त्यसभ्य: ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  तुम पैदल सेना के नायक की तरह हो, इसलिए शीघ्र ही हमें हराने का प्रयास करो। यह तुम्हारी लड़ाइयाँ बंद करो और हम पर हमला करके अपने रिश्तेदारों की चिंता खत्म करो। कोई गर्व तो कर सकता है पर अगर वह दिए गए शब्दों को पूरा नहीं कर पाता तो वह सभा में बैठने का पात्र नहीं है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.