उद्धसत्तडिदम्भोदघटया नष्टभागणे ।
व्योम्नि प्रविष्टतमसा न स्म व्यादृश्यते पदम् ॥ ६ ॥
अनुवाद
आकाश के तारों को काले बादलों ने ढँक लिया था, और कभी-कभी बिजली की चमक दिखाई देती थी मानो तेज हँसी आ रही हो। चारों ओर अँधेरा फैला हुआ था और कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।