लक्ष्मीदेवी, जिनके चरणों की धूल अन्य लोग अपने सिर पर लेते हैं, उसके बाद भी वे आपकी सेवा में लगी रहती हैं, क्योंकि वह उन भौंरों के राजा के निवास में जगह पाना चाहती हैं, जो आपके चरणों में किसी भाग्यशाली भक्त द्वारा चढ़ाई गई तुलसी की ताजी माला पर मँडराते हैं।