श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 15: ईश्वर के साम्राज्य का वर्णन  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  3.15.19 
 
 
मन्दारकुन्दकुरबोत्पलचम्पकार्ण-
पुन्नागनागबकुलाम्बुजपारिजाता: ।
गन्धेऽर्चिते तुलसिकाभरणेन तस्या
यस्मिंस्तप: सुमनसो बहु मानयन्ति ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  यद्यपि मन्दार, कुन्द, कुरबक, उत्पल, चम्पक, अर्ण, पुन्नाग, नागकेशर, बकुल, कुमुदिनी तथा पारिजात जैसे फूलने वाले पौधे दिव्य सुगन्ध से परिपूर्ण हैं, फिर भी वे तुलसी की तपस्या के प्रति सजग रहते हैं। क्योंकि भगवान तुलसी को विशेष महत्व देते हैं और स्वयं तुलसी की पत्तियों की माला पहनते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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