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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण
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श्लोक 8
श्लोक
3.14.8
दितिर्दाक्षायणी क्षत्तर्मारीचं कश्यपं पतिम् ।
अपत्यकामा चकमे सन्ध्यायां हृच्छयार्दिता ॥ ८ ॥
अनुवाद
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दक्ष-कन्या दिति ने कामेच्छा से पीडि़त होकर संध्या के समय अपने पति मरीचि पुत्र कश्यप से सन्तान उत्पन्न करने के उद्देश्य से संभोग करने के लिए प्रार्थना की।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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