श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  3.14.51 
 
 
मैत्रेय उवाच
श्रुत्वा भागवतं पौत्रममोदत दितिर्भृशम् ।
पुत्रयोश्च वधं कृष्णाद्विदित्वासीन्महामना: ॥ ५१ ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय ऋषि ने कहा: यह सुनकर कि उसका पौत्र एक महान भक्त होगा और उसके पुत्र भगवान कृष्ण द्वारा मारे जाएँगे, दिति के मन में अत्यधिक खुशी हुई।
 
 
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध तीन के अंतर्गत चौदहवाँ अध्याय समाप्त होता है ।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.