श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  3.14.49 
 
 
अलम्पट: शीलधरो गुणाकरो
हृष्ट: परर्द्ध्या व्यथितो दु:खितेषु ।
अभूतशत्रुर्जगत: शोकहर्ता
नैदाघिकं तापमिवोडुराज: ॥ ४९ ॥
 
अनुवाद
 
  वह समस्त सद्गुणों से परिपूर्ण होगा, दूसरों के सुख में प्रसन्न और दूसरों के दुख में दुखी होने वाला होगा, और उसका कोई शत्रु नहीं होगा। वह सभी ब्रह्मांडों के दुखों को दूर करने वाला होगा, जैसे गर्मियों के सूरज के बाद सुखद चाँद।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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