न ब्रह्मदण्डदग्धस्य न भूतभयदस्य च ।
नारकाश्चानुगृह्णन्ति यां यां योनिमसौ गत: ॥ ४३ ॥
अनुवाद
जो व्यक्ति ब्राह्मण द्वारा लांछित होता है या सदैव अन्य प्राणियों के लिए भय का कारण बनता है, उसका पक्ष न तो पहले से नरक में रहने वाले प्राणी लेते हैं और न ही उन प्रजातियों के प्राणी लेते हैं जिसमे उसका जन्म होता है।