श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  3.14.43 
 
 
न ब्रह्मदण्डदग्धस्य न भूतभयदस्य च ।
नारकाश्चानुगृह्णन्ति यां यां योनिमसौ गत: ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  जो व्यक्ति ब्राह्मण द्वारा लांछित होता है या सदैव अन्य प्राणियों के लिए भय का कारण बनता है, उसका पक्ष न तो पहले से नरक में रहने वाले प्राणी लेते हैं और न ही उन प्रजातियों के प्राणी लेते हैं जिसमे उसका जन्म होता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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