श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  3.14.41 
 
 
तदा विश्वेश्वर: क्रुद्धो भगवाल्लोकभावन: ।
हनिष्यत्यवतीर्यासौ यथाद्रीन् शतपर्वधृक् ॥ ४१ ॥
 
अनुवाद
 
  उस काल में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड के स्वामी, सर्वोच्च भगवान्, जो समस्त जीवों के हितैषी हैं, अवतार लेंगे और उन दानवों का वध इस तरह करेंगे जैसे इंद्र अपने वज्र से पर्वतों को तोड़ देता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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