श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.14.38 
 
 
कश्यप उवाच
अप्रायत्यादात्मनस्ते दोषान्मौहूर्तिकादुत ।
मन्निदेशातिचारेण देवानां चातिहेलनात् ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  विद्वान कश्यप ने कहा: तुम्हारा मन दूषित होने, समय के उस विशेष मुहूर्त के अपवित्र होने, मेरे निर्देशों की तुम्हारे द्वारा उपेक्षा किये जाने और तुम्हारे द्वारा देवताओं की अवहेलना किए जाने के कारण सारी बातें अशुभ थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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