श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  3.14.30 
 
 
मैत्रेय उवाच
सैवं संविदिते भर्त्रा मन्मथोन्मथितेन्द्रिया ।
जग्राह वासो ब्रह्मर्षेर्वृषलीव गतत्रपा ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  मैत्रेय बोले : इस तरह दिति को उसके पति ने सूचित किया, पर कामदेव ने उसे भोग-तृप्ति के लिए विवश कर दिया। ठीक जैसे कोई निर्लज्ज सार्वजनिक वेश्या, उसने उस महान ब्राह्मण ऋषि के वस्त्र पकड़ लिए।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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