श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  3.14.20 
 
 
यामाश्रित्येन्द्रियारातीन्दुर्जयानितराश्रमै: ।
वयं जयेम हेलाभिर्दस्यून्दुर्गपतिर्यथा ॥ २० ॥
 
अनुवाद
 
  जैसे दुर्ग का सेनापति आक्रमण करने वाले लुटेरों को बड़ी सरलता से जीत लेता है, वैसे ही पत्नी के आश्रम में रहकर मनुष्य उन इंद्रियों को जीत सकता है, जो अन्य आश्रमों में अजेय होती हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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