श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 14: संध्या समय दिति का गर्भ-धारण  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  3.14.16 
 
 
इति तां वीर मारीच: कृपणां बहुभाषिणीम् ।
प्रत्याहानुनयन् वाचा प्रवृद्धानङ्गकश्मलाम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे वीर (विदुर), कामवासना के मैल से इस प्रकार भ्रष्ट, और इसलिए निर्धन एवं बकवासी हो गयी दिति को मरीचिपुत्र ने उचित शब्दों से शांत किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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