तद्भवान्दह्यमानायां सपत्नीनां समृद्धिभि: ।
प्रजावतीनां भद्रं ते मय्यायुङ्क्तामनुग्रहम् ॥ ११ ॥
अनुवाद
इसलिए आपको मुझ पर पूरी दया करके मुझ पर कृपा करनी चाहिए। मैं संतान चाहती हूं और अपनी सौतन का ऐश्वर्य देखकर मैं बहुत दुखी हूं। यह कार्य करने से आप सुखी हो जाएंगे।