श्रीशुक उवाच
निशम्य कौषारविणोपवर्णितां
हरे: कथां कारणसूकरात्मन: ।
पुन: स पप्रच्छ तमुद्यताञ्जलि-
र्न चातितृप्तो विदुरो धृतव्रत: ॥ १ ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा: महामुनि मैत्रेय से भगवान के वराह रूप में अवतार के विषय में सुनकर दृढ़संकल्प विदुर ने हाथ जोड़कर उनसे भगवान के अन्य दिव्य कार्यों के बारे में सुनाने का अनुरोध किया, क्योंकि वे (विदुर) अभी भी संतुष्ट अनुभव नहीं कर रहे थे।