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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 13: वराह भगवान् का प्राकट्य
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श्लोक 24
श्लोक
3.13.24
ब्रह्माणं हर्षयामास हरिस्तांश्च द्विजोत्तमान् ।
स्वगर्जितेन ककुभ: प्रतिस्वनयता विभु: ॥ २४ ॥
अनुवाद
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असाधारण स्वर मे फिर से गर्जन करके सर्वशक्तिमान भगवान ने ब्रह्मा और अन्य श्रेष्ठ ब्राह्मणों में एक बार फिर से प्राण डाले, जिससे सारी दिशाएँ गूंज उठीं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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