तत्पश्चात् परमेश्वर प्रजापति के देह के रोमों से उष्णिक अर्थात् साहित्य में अभिव्यक्ति की कला पैदा हुई। मुख्य वैदिक मंत्र गायत्री जीवों के अधिपति की त्वचा से उत्पन्न हुआ, त्रिष्टुप् उनके मांस से, अनुष्टुप शिराओं से तथा जगती छंद उनकी हड्डियों से उत्पन्न हुआ।