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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 3: यथास्थिति
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अध्याय 11: परमाणु से काल की गणना
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श्लोक 6
श्लोक
3.11.6
त्रसरेणुत्रिकं भुङ्क्ते य: काल: स त्रुटि: स्मृत: ।
शतभागस्तु वेध: स्यात्तैस्त्रिभिस्तु लव: स्मृत: ॥ ६ ॥
अनुवाद
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त्रासरेणुओं को मिलाकर एक इकाई बनाने का समय त्रुटि कहलाता है और सौ त्रुटि एक वेध के बराबर होती है। तीन वेध मिलकर एक लव बनाते हैं।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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