वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 3: यथास्थिति
»
अध्याय 10: सृष्टि के विभाग
»
श्लोक 12
श्लोक
3.10.12
विश्वं वै ब्रह्मतन्मात्रं संस्थितं विष्णुमायया ।
ईश्वरेण परिच्छिन्नं कालेनाव्यक्तमूर्तिना ॥ १२ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
यह विराट जगत काल के माध्यम से भगवान से अलग हो गया है। काल भगवान का अप्रकट और निर्विशेष रूप है। यह विराट जगत विष्णु की उसी भौतिक शक्ति के प्रभाव में भगवान की वस्तुगत अभिव्यक्ति के रूप में स्थित है।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.