श्रीशुक उवाच
यदा तु राजा स्वसुतानसाधून्
पुष्णन्नधर्मेण विनष्टदृष्टि: ।
भ्रातुर्यविष्ठस्य सुतान् विबन्धून्
प्रवेश्य लाक्षाभवने ददाह ॥ ६ ॥
अनुवाद
श्री शुकदेव गोस्वामी ने कहा : राजा धृतराष्ट्र अपने नालायक पुत्रों की परवरिश की दुष्ट कामनाओं में अंधे हो चुके थे, इसलिए उन्होंने अपने पिताविहीन भतीजों पाण्डवों को जलाने के लिए लोहे और लाह का बना घर बनाया।