श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 38
 
 
श्लोक  3.1.38 
 
 
कच्चिद्यशोधा रथयूथपानां
गाण्डीवधन्वोपरतारिरास्ते ।
अलक्षितो यच्छरकूटगूढो
मायाकिरातो गिरिशस्तुतोष ॥ ३८ ॥
 
अनुवाद
 
  [कृपया मुझे बताएँ] क्या अर्जुन, जिसके धनुष का नाम गाण्डीव है और जो रथियों में अपने शत्रुओं का विनाश करने के लिए सदैव प्रसिद्ध है, ठीक से है? जब शिवजी छद्म शिकारी के रूप में आकर अर्जुन के सामने आए थे, तब अर्जुन ने उन पर बाणों की बौछार करके उन्हें प्रसन्न किया था ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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