श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 3: यथास्थिति  »  अध्याय 1: विदुर द्वारा पूछे गये प्रश्न  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  3.1.27 
 
 
कच्चित्कुरूणां परम: सुहृन्नो
भाम: स आस्ते सुखमङ्ग शौरि: ।
यो वै स्वसृणां पितृवद्ददाति
वरान् वदान्यो वरतर्पणेन ॥ २७ ॥
 
अनुवाद
 
  कुरुओं के सबसे अच्छे मित्र, हमारे बहनोई वसुदेव, क्या स्वस्थ हैं? वे अत्यंत दयालु हैं। वे अपनी बहनों के प्रति पिता तुल्य हैं और अपनी पत्नियों के प्रति सदैव हँसमुख रहते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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