कच्चित्कुरूणां परम: सुहृन्नो
भाम: स आस्ते सुखमङ्ग शौरि: ।
यो वै स्वसृणां पितृवद्ददाति
वरान् वदान्यो वरतर्पणेन ॥ २७ ॥
अनुवाद
कुरुओं के सबसे अच्छे मित्र, हमारे बहनोई वसुदेव, क्या स्वस्थ हैं? वे अत्यंत दयालु हैं। वे अपनी बहनों के प्रति पिता तुल्य हैं और अपनी पत्नियों के प्रति सदैव हँसमुख रहते हैं।