भूपातालककुब्व्योमग्रहनक्षत्रभूभृताम् ।
सरित्समुद्रद्वीपानां सम्भवश्चैतदोकसाम् ॥ १५ ॥
अनुवाद
हे सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण, कृपया यह भी बताएँ कि ब्रह्माण्ड में समस्त गोलकों, आकाश के चारों दिशाओं, आकाश, ग्रहों, नक्षत्रों, पर्वतों, नदियों, समुद्रों और द्वीपों की उत्पत्ति और साथ ही उनकी विभिन्न प्रकार के निवासियों का निर्माण किस प्रकार होता है?