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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति
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अध्याय 6: पुरुष सूक्त की पुष्टि
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श्लोक 8
श्लोक
2.6.8
अपां वीर्यस्य सर्गस्य पर्जन्यस्य प्रजापते: ।
पुंस: शिश्न उपस्थस्तु प्रजात्यानन्दनिर्वृते: ॥ ८ ॥
अनुवाद
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भगवान् के जननांगों से जल, वीर्य, उत्पत्ति, वर्षा और प्रजा उत्पन्न होती है। उनके जननांग उस आनंद के कारण होते हैं जो जन्म के कष्टों के प्रतिकार के लिए है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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