श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 6: पुरुष सूक्त की पुष्टि  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  2.6.7 
 
 
विक्रमो भूर्भुव: स्वश्च क्षेमस्य शरणस्य च ।
सर्वकामवरस्यापि हरेश्चरण आस्पदम् ॥ ७ ॥
 
अनुवाद
 
  इस प्रकार भगवान के अगले कदम ऊर्ध्व, अधो और स्वर्गीय ग्रहों के साथ-साथ हमारी सभी आवश्यकताओं के लिए आश्रय हैं। उनके चरणकमल सभी प्रकार के भय से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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