हे नारद, अब एक-एक करके लीला अवतार कहे जाने वाले भगवान के दिव्य अवतारों का वर्णन करूँगा। उनके कार्यों को सुनने से कानों में जमा सारी गंदगी साफ हो जाती है। ये लीलाएँ सुनने में मधुर और आनंददायक हैं, इसलिए वे हमेशा मेरे हृदय में रहती हैं।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध दो के अंतर्गत छठा अध्याय समाप्त होता है ।