यदास्य नाभ्यान्नलिनादहमासं महात्मन: ।
नाविदं यज्ञसम्भारान् पुरुषावयवानृते ॥ २३ ॥
अनुवाद
जब मैं महापुरुष भगवान् (महा-विष्णु) के नाभि-कमल से प्रकट हुआ था, तो मेरे पास यज्ञ-अनुष्ठानों के लिए उस महापुरुष के शारीरिक अंगों के अलावा कोई अन्य सामग्री नहीं थी।