श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 6: पुरुष सूक्त की पुष्टि  »  श्लोक 23
 
 
श्लोक  2.6.23 
 
 
यदास्य नाभ्यान्नलिनादहमासं महात्मन: ।
नाविदं यज्ञसम्भारान् पुरुषावयवानृते ॥ २३ ॥
 
अनुवाद
 
  जब मैं महापुरुष भगवान् (महा-विष्णु) के नाभि-कमल से प्रकट हुआ था, तो मेरे पास यज्ञ-अनुष्ठानों के लिए उस महापुरुष के शारीरिक अंगों के अलावा कोई अन्य सामग्री नहीं थी।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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