श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 2: ब्रह्माण्ड की अभिव्यक्ति  »  अध्याय 6: पुरुष सूक्त की पुष्टि  »  श्लोक 22
 
 
श्लोक  2.6.22 
 
 
यस्मादण्डं विराड् जज्ञे भूतेन्द्रियगुणात्मक: ।
तद् द्रव्यमत्यगाद् विश्वं गोभि: सूर्य इवातपन् ॥ २२ ॥
 
अनुवाद
 
  भगवान के उस विशिष्ट व्यक्तित्व से सारे ब्रह्मांडों और उनमें निहित सारे भौतिक तत्त्वों, गुणों और इंद्रियों सहित विराट रूप का जन्म हुआ। फिर भी वे इन भौतिक अभिव्यक्तियों से अलग रहते हैं, जैसे सूर्य अपनी किरणों और ऊष्मा से पृथक रहता है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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