सृती विचक्रमे विश्वङ्साशनानशने उभे ।
यदविद्या च विद्या च पुरुषस्तूभयाश्रय: ॥ २१ ॥
अनुवाद
अपनी शक्तियों के संग समस्त जगत में व्याप्त होने के कारण श्री कृष्ण हर प्रकार के नियंत्रण कार्यों के, और भक्तिभाव पूर्ण सेवा कार्यों के स्वामी हैं. वे सृष्टि के प्रत्येक परिस्थिति में अज्ञान तथा सटीक जानकारी के भी स्वामी हैं।